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विश्व योग दिवस – Yoga for One Earth, One Health

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हर साल 21 जून को मनाया जाने वाला अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस अब सिर्फ एक तारीख नहीं, बल्कि भारत और दुनिया भर में स्वास्थ्य और कल्याण का एक वैश्विक उत्सव बन गया है। भारत के प्रमुख समाचार पत्रों की रिपोर्टों को देखें तो यह स्पष्ट होता है कि यह दिन केवल आसनों और प्राणायाम तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह देश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और वैश्विक सद्भावना का प्रतीक भी बन गया है।

एक राष्ट्रीय आंदोलन की झलक

भारत में, योग दिवस एक राष्ट्रीय आंदोलन का रूप ले चुका है, जिसमें प्रधानमंत्री से लेकर आम नागरिक तक, सभी उत्साहपूर्वक भाग लेते हैं। समाचार पत्रों ने प्रमुख शहरों से लेकर सुदूर गांवों तक फैले आयोजनों की विस्तृत कवरेज की। दिल्ली के कर्तव्य पथ से लेकर श्रीनगर के डल झील के किनारे तक, हजारों लोगों ने सामूहिक योग प्रदर्शनों में हिस्सा लिया। मीडिया रिपोर्ट्स में अक्सर इन आयोजनों की भव्यता और जनभागीदारी पर जोर दिया जाता है, जो योग के प्रति बढ़ती जागरूकता और स्वीकार्यता को दर्शाता है|

‘स्वास्थ्य का मंत्र’ और ‘तन-मन के संतुलन का मार्ग’

उन्होंने विभिन्न आयुष मंत्रालयों, योग संस्थानों और स्वयंसेवी संगठनों द्वारा आयोजित कार्यशालाओं, सेमिनारों और जागरूकता अभियानों पर प्रकाश डाला। इन रिपोर्टों में अक्सर इस बात पर जोर दिया गया कि कैसे योग सिर्फ शारीरिक व्यायाम नहीं, बल्कि मानसिक शांति और आध्यात्मिक विकास का भी एक साधन है।

ग्रामीण भारत में योग की गूंज

शहरी केंद्रों से परे, योग दिवस की गूंज ग्रामीण भारत में भी स्पष्ट रूप से सुनाई देती है। क्षेत्रीय समाचार पत्रों ने स्थानीय स्तर पर आयोजित छोटे लेकिन महत्वपूर्ण कार्यक्रमों की तस्वीरें और खबरें प्रकाशित कीं। स्कूलों, सामुदायिक केंद्रों और ग्राम पंचायतों में लोगों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया, जिससे यह संदेश गया कि योग अब केवल कुछ विशिष्ट वर्गों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह समाज के हर तबके तक पहुंच रहा है। इन आयोजनों में अक्सर स्थानीय लोक कला और सांस्कृतिक प्रदर्शनों को भी शामिल किया जाता है, जिससे योग दिवस को एक अनूठा भारतीय रंग मिलता है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों और योग गुरुओं के साक्षात्कार भी प्रमुखता से छापे गए, जिन्होंने योग के चिकित्सीय लाभों पर प्रकाश डाला। जहां लोगों ने योग के माध्यम से विभिन्न बीमारियों से मुक्ति पाई या अपने जीवन की गुणवत्ता में सुधार किया। यह व्यक्तिगत अनुभव लोगों को योग अपनाने के लिए प्रेरित करते हैं।

योग और शिक्षा: भविष्य की नींव

शिक्षा के क्षेत्र में योग के बढ़ते महत्व को भी समाचार पत्रों ने रेखांकित किया। कई राज्यों में स्कूलों और कॉलेजों में योग को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जा रहा है। योग दिवस पर शैक्षणिक संस्थानों में आयोजित विशेष सत्रों और प्रतियोगिताओं की खबरें प्रमुखता से छपती हैं, जो युवा पीढ़ी में योग के प्रति रुचि जगाने में सहायक हैं। यह पहल भविष्य के लिए एक स्वस्थ और संतुलित समाज की नींव रख रही है।

वैश्विक मंच पर भारत की पहचान

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस भारत के लिए एक महत्वपूर्ण सॉफ्ट पावर टूल भी बन गया है। दुनिया भर में योग की बढ़ती लोकप्रियता के साथ, भारत को योग की जन्मभूमि और इसके प्रामाणिक ज्ञान के स्रोत के रूप में देखा जाता है। प्रधानमंत्री के योग दिवस संदेशों और विदेशों में भारतीय दूतावासों द्वारा आयोजित कार्यक्रमों की खबरें भारतीय कूटनीति के इस पहलू को उजागर करती हैं। समाचार पत्र अक्सर इस बात पर जोर देते हैं कि कैसे योग ने भारत को वैश्विक मंच पर एक अद्वितीय पहचान दिलाई है।

चुनौतियां और आगे का मार्ग

हालांकि योग की लोकप्रियता बढ़ रही है, लेकिन कुछ समाचार पत्रों ने इससे जुड़ी चुनौतियों पर भी प्रकाश डाला। इनमें योग्य प्रशिक्षकों की कमी, योग के व्यवसायीकरण और सही मार्गदर्शन के अभाव जैसे मुद्दे शामिल हैं। इन चुनौतियों को स्वीकार करते हुए, सरकार और योग संस्थान योग के सही स्वरूप को बनाए रखने और इसे अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने के लिए प्रयासरत हैं।


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One thought on “विश्व योग दिवस – Yoga for One Earth, One Health

  1. योग भारत के मूल में है। यह सही बात है कि पिछले कुछ दशकों में इसे भुला दिया गया था। परन्तु धन्यवाद मोदी जी का जो इसे विश्व पटल पर रखने का कार्य किए।

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