इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक (IPPB) विभिन्न सकारात्मक कारणों से समाचारों और चर्चा के केंद्र में बना हुआ है। वित्तीय समावेशन को जमीनी स्तर पर साकार करने से लेकर डिजिटल भुगतान में नए कीर्तिमान स्थापित करने तक, IPPB ने अपनी एक विशिष्ट पहचान बनाई है। विभिन्न समाचार पत्रों और आधिकारिक घोषणाओं के विश्लेषण से यह स्पष्ट होता है कि IPPB की सफलता के पीछे इसकी अनूठी कार्यप्रणाली, व्यापक पहुंच और भविष्य की महत्वाकांक्षी योजनाएं हैं।
डिजिटल भुगतान में उत्कृष्टता के लिए सर्वोच्च सम्मान
IPPB के सुर्खियों में रहने का सबसे ताजा और प्रमुख कारण वित्त मंत्रालय द्वारा प्रदान किया गया प्रतिष्ठित ‘डिजिटल पेमेंट्स अवार्ड 2024-25’ है। प्रेस सूचना ब्यूरो (PIB) द्वारा जारी विज्ञप्ति के अनुसार, भारत सरकार के डाक विभाग के तहत 100% स्वामित्व वाले इस बैंक को डिजिटल भुगतान और वित्तीय समावेशन में उत्कृष्ट योगदान के लिए यह सम्मान मिला है। वित्तीय वर्ष 2024-25 के प्रदर्शन सूचकांक में IPPB को सभी पेमेंट्स बैंकों में पहला स्थान मिला है, जो इसकी असाधारण वृद्धि और प्रभाव को दर्शाता है। यह पुरस्कार इस बात का प्रमाण है कि IPPB शहरी और ग्रामीण भारत के बीच डिजिटल खाई को पाटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
वित्तीय समावेशन का प्रहरी: ‘आपका बैंक, आपके द्वार’
IPPB की स्थापना का मुख्य उद्देश्य देश के उन दूर-दराज के इलाकों तक बैंकिंग सेवाएं पहुंचाना था, जहां पारंपरिक बैंकों की पहुंच सीमित है। आज, यह अपने उद्देश्य में पूरी तरह सफल होता दिख रहा है। IPPB देश के लगभग 1.65 लाख डाकघरों (जिनमें से 1.40 लाख ग्रामीण क्षेत्रों में हैं) और 3 लाख से अधिक डाकियों और ग्रामीण डाक सेवकों के विशाल नेटवर्क का लाभ उठा रहा है।
यह ‘डोरस्टेप बैंकिंग’ (घर पर बैंकिंग) का एक अनूठा मॉडल है, जहां डाकिया केवल चिट्ठी नहीं, बल्कि एक चलता-फिरता बैंक है। स्मार्टफोन और बायोमेट्रिक डिवाइस से लैस ये डाककर्मी गांव-गांव, घर-घर जाकर खाता खोलने, पैसे जमा करने, निकासी और अन्य बैंकिंग सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। इस मॉडल की सफलता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि IPPB ने 11 करोड़ से अधिक ग्राहकों को जोड़ा है, जिनमें से अधिकांश ग्रामीण भारत से हैं। महिलाओं के वित्तीय सशक्तिकरण में भी इसका बड़ा योगदान है, क्योंकि इसके 95% से अधिक खाते महिलाओं के नाम पर उनके दरवाजे पर ही खोले गए हैं।
रणनीतिक साझेदारियों से बढ़ता सेवाओं का दायरा
IPPB यह समझता है कि केवल बचत और चालू खातों तक सीमित रहकर वह अपने ग्राहकों की सभी वित्तीय जरूरतों को पूरा नहीं कर सकता। इसलिए, उसने एक ‘ओपन बैंकिंग’ आर्किटेक्चर अपनाया है। इसके तहत, IPPB ने विभिन्न वित्तीय संस्थानों के साथ रणनीतिक साझेदारियां की हैं।
- ऋण सेवाओं के लिए: आदित्य बिड़ला कैपिटल और एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस जैसी कंपनियों के साथ मिलकर अपने ग्राहकों को व्यक्तिगत, व्यावसायिक और गृह ऋण उपलब्ध करा रहा है।
- बीमा उत्पादों के लिए: बजाज आलियांज और टाटा एआईजी जैसी कंपनियों के साथ साझेदारी कर जीवन और सामान्य बीमा उत्पादों की पेशकश कर रहा है।
इन साझेदारियों के माध्यम से, IPPB बिना खुद एक पूर्ण बैंक बने, अपने ग्राहकों को ऋण, बीमा और निवेश जैसे उत्पादों का एक पूरा गुलदस्ता प्रदान कर रहा है, जिसे वित्तीय भाषा में ‘थर्ड-पार्टी प्रोडक्ट्स’ कहा जाता है।
भविष्य की महत्वाकांक्षी योजनाएं
विभिन्न मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, IPPB अपनी वर्तमान सफलता से आगे बढ़कर भविष्य के लिए बड़ी योजनाएं बना रहा है। बैंक की सबसे बड़ी आकांक्षा एक ‘स्मॉल फाइनेंस बैंक’ (SFB) का लाइसेंस प्राप्त करना है। SFB का दर्जा मिलने से IPPB सीधे तौर पर अपने ग्राहकों को ऋण प्रदान कर सकेगा, जिससे इसकी सेवाओं का दायरा और प्रभाव कई गुना बढ़ जाएगा। इसके अतिरिक्त, सरकार द्वारा अपनी हिस्सेदारी बेचने और बैंक के सार्वजनिक होने (IPO लाने) की खबरें भी चर्चा में हैं, जो इसके बढ़ते आत्मविश्वास और वित्तीय मजबूती को दर्शाता है।
निष्कर्ष
इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक की हालिया चर्चा उसके ठोस प्रदर्शन और दूरदर्शी दृष्टिकोण का परिणाम है। इसने प्रौद्योगिकी और भरोसे के प्रतीक ‘डाकिया’ के मेल से एक ऐसा सफल मॉडल तैयार किया है जो वित्तीय समावेशन की परिभाषा को फिर से लिख रहा है। डिजिटल भुगतान में सर्वोच्च पुरस्कार जीतना, करोड़ों ग्राहकों का विश्वास हासिल करना और भविष्य के लिए एक स्पष्ट रोडमैप तैयार करना, यह सब दर्शाता है कि IPPB न केवल भारत सरकार के ‘डिजिटल इंडिया’ और ‘वित्तीय समावेशन’ के लक्ष्यों को पूरा कर रहा है, बल्कि देश के बैंकिंग परिदृश्य में एक स्थायी और प्रभावशाली संस्था के रूप में भी उभर रहा है।